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उत्तर प्रदेश के क्षेत्रफल का लगभग दो-तिहाई भाग गंगा तंत्र की धीमी गति से बहने वाली नदियों द्वारा लाई गई जलोढ़ मिट्टी की गहरी परत से ढंका है। अत्यधिक उपजाऊ यह जलोढ़ मिट्टी कहीं रेतीली है, तो कहीं चिकनी दोमट। राज्य के दक्षिणी भाग की मिट्टी सामान्यतया मिश्रित लाल और काली या लाल से लेकर पीली है। ...
राष्ट्रीय चम्बल वन्य जीव अभयारण्य राजस्थान के कोटा से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह अभ्यारण्य 280 वर्ग किलोमीटर के जल क्षेत्र में फैला हुआ है। दक्षिण पूर्वी राजस्थान में चम्बल नदी पर राणा प्रताप सागर से चम्बल नदी के बहाव तक इसका फैलाव है। ...
बखिरा पक्षी अभयारण्य, संतकबीर नगर जनपद के मुख्यालय खलीलाबाद से लगभग बीस किमी की दूरी पर स्थित 28.94 किमी क्षेत्रफल में फैला हुआ है। इतिहास के पन्नों में मोतीझील के नाम से अंकित बखिरा झील को 14 मई 1990 को उप्र सरकार ने अधिसूचना जारी करते हुए बखिरा पक्षी विहार का दर्जा प्रदान किया था ...
समसपुर पक्षी विहार जिले के रोहनिया विकास खंड में स्थित है, लखनऊ से लखनऊ - वाराणसी राजमार्ग पर लगभग १२२ किमी. दूर ७९९.३७१ हेक्टेयर के कुल क्षेत्र पर १९८७ में स्थापित किया गया था ...
साण्डी पक्षी अभयारण्य उत्तर प्रदेश प्रदेश के हरदोई में स्थित है। साण्डी पक्षी अभयारण्य की स्थापना 1990 ई. में हुई थी। यह अभयारण्य लखनऊ से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह अभयारण्य लगभग तीन किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। ...
मैनपुरी जिला स्थित समान वन्यजीव अभ्यारण पांच किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। इस अभ्यारण का निर्माण 1990 ई. में हुआ था। इस अभ्यारण में पक्षियों की कई प्रजातियां देखी जा सकती है। यहां घूमने का सबसे उचित समय दिसम्बर से फरवरी है। ...
शिवालिक पर्वत श्रेणी (इसे चुरिया श्रेणी या बाह्य हिमालय भी कहा जाता है) हिमालय पर्वत का सबसे दक्षिणी तथा भौगोलिक रुप से युवा भाग है जो पश्चिम से पूरब तक फैला हुआ है। यह हिमायल पर्वत प्रणाली के दक्षिणतम और भूगर्भ शास्त्रीय दृष्टि से, कनिष्ठतम पर्वतमाला कड़ी है। इसकी औसत ऊंचाई 900-1200 मीटर है और इसकी कई उपश्रेणियां भी हैं ...
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