Top GK Quiz Answer Description
गुरु शिखर, राजस्थान के अरबुड़ा पहाड़ों में एक चोटी है जो अरावली पर्वतमाला का उच्चतम बिंदु है। यह 1722 मीटर (5676 फीट) की ऊंचाई पर है। माउंट आबू से १५ किमी.दूर गुरु शिखर अरावली पर्वत शृंखला की सबसे ऊँची चोटी है। पर्वत की चोटी पर बने इस मंदिर की शांति दिल को छू लेती है। मंदिर की भवन सफेद रंग ...
राजस्थान भारत का एक महत्वपूर्ण प्रांत है। यह 30 मार्च 1949 को भारत का एक ऐसा प्रांत बना, जिसमें तत्कालीन राजपूताना की ताकतवर रियासतें विलीन हुईं। भरतपुर के जाट शासक ने भी अपनी रियासत के विलय राजस्थान में किया था। राजस्थान शब्द का अर्थ है: 'राजाओं का स्थान' क्योंकि यहां गुर्जर, राजपूत, मौर्य, जाट आदि ने पहले राज किया था। ...
खेजड़ी या शमी एक वृक्ष है जो थार के मरुस्थल एवं अन्य स्थानों में पाया जाता है। यह वहां के लोगों के लिए बहुत उपयोगी है। इसके अन्य नामों में घफ़ (संयुक्त अरब अमीरात), खेजड़ी, जांट/जांटी, सांगरी (राजस्थान), जंड (पंजाबी), कांडी (सिंध), वण्णि (तमिल), शमी, सुमरी (गुजराती) आते हैं। इसका व्यापारिक नाम कांडी है। यह वृक्ष विभिन्न देशों में पाया ...
मेहरानगढ किला भारत के राजस्थान प्रांत में जोधपुर शहर में स्थित है। पन्द्रहवी शताब्दी का यह विशालकाय किला, पथरीली चट्टान पहाड़ी पर, मैदान से १२५ मीटर ऊँचाई पर स्थित है और आठ द्वारों व अनगिनत बुर्जों से युक्त दस किलोमीटर लंबी ऊँची दीवार से घिरा है। ...
महाभारत काल में यह मत्स्य जनपद की राजधानी था। महाभारत के अनुसार पांडवों ने यहाँ पर अपना एक वर्ष का अज्ञात वास व्यतीत किया था। बैराठ के समीप पहाडियों पर भव्य बौद्ध मठ के भी अवशेष मिले हैं। ...
सवाई की मौखिक-उपाधि[संपादित करें] अपने पिता महाराजा बिशन सिंह के असामयिक देहान्त के बाद २५ जनवरी १७०० को ११ वर्ष की लगभग बाल्य-अवस्था में वे आमेर की गद्दी बैठे।[4] औरंगजेब ने उन्हें 'सवाई' की [मौखिक] उपाधि दी थी - जिसका प्रतीकात्मक-अर्थ यही है कि वे अपने समकालीनों से 'सवाया' (या सवा-गुना अधिक बुद्धिमान और वीर) थे। सुना जाता है जब ...
शूरसेन देश प्राचीन काल में राजस्थान में जनपद था। राजस्थान भारत वर्ष के पश्चिम भाग में अवस्थित है जो प्राचीन काल से विख्यात रहा है। तब इस प्रदेश में कई इकाईयाँ सम्मिलित थी जो अलग-अलग नाम से सम्बोधित की जाती थी। ...
किले से संबंधित प्रमुख ऐतिहासिक स्थानों में नौलखा दरवाजा, हाथीपोल, गणेशपोल, सुरजपोल और त्रिपोलिया प्रमुख प्रवेश द्वार है। त्रिपोलिया अंधेरी दरवाजा भी कहलाता है। इसके पास से एक सुरंग महलों तक गई है। किले तक पहुँचने के लिए कई उतार-चढाव, संकरे व फिसलन वाले रास्ते तय करने के साथ नौलखा, हाथीपोल, गणेशपोल और त्रिपोलिया द्वार पार करना पड़ता है। इस ...
भारत के राजस्थान राज्य के जोधपुर ज़िले में स्थित उम्मैद भवन पैलेस ,जोधपुर राजस्थान, दुनिया के सबसे बड़े निजी घरों में से एक है। महल के एक हिस्से को होटल में परिवर्तित कर दिया गया हैं जिसका प्रबंधन ताज होटल द्वारा किया जाता है। महाराजा उम्मेद सिंह (वर्तमान महाराज गज सिंह के दादा), के नाम पर रखे गए इस महल ...
गुप्तकाल में बयाना को श्री पंथ कहा जाता था। पाणीनी ने इसे श्री प्रस्थ कहा है जबकी कुछ लोगो का मत है की बाणसूर की नगरी बाणपुर थी। जो बाणपुर से बयाना कहलाने लगी। ...
लोहागढ़ दुर्ग एक दुर्ग अथवा एक किला है जो भारतीय राज्य राजस्थान के भरतपुर ज़िले में स्थित है । दुर्ग का निर्माण भरतपुर के जाट वंश के महाराजा सूरजमल ने करवाया था ...
भामाशाह (1542 - लगभग 1598) बाल्यकाल से मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप के मित्र, सहयोगी और विश्वासपात्र सलाहकार थे। अपरिग्रह को जीवन का मूलमंत्र मानकर संग्रहण की प्रवृत्ति से दूर रहने की चेतना जगाने में आप सदैव अग्रणी रहे। आपको मातृ-भूमि के प्रति अगाध प्रेम था और दानवीरता के लिए आपका नाम इतिहास में अमर है। ...
खानवा का युद्ध 'भारतीय इतिहास' में काफ़ी महत्त्वपूर्ण है। यह युद्ध 17 मार्च, 1527 ई. में राजपूत नरेश राणा साँगा और मुग़ल बादशाह बाबर के मध्य लड़ा गया था। इस युद्ध में साँगा की हार हुई और सम्पूर्ण भारत में हिन्दू राज्य की स्थापना करने का उसका सपना टूट गया। इस युद्ध के कारणों के विषय में इतिहासकारों के अनेक ...
भील मध्य भारत की एक जनजाति है। भील जनजाति के लोग भील भाषा बोलते है। भील, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और राजस्थान में एक अनुसूचित जनजाति है, अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के खादिम भी भील पूर्वजों के वंशज हैं। भील त्रिपुरा और पाकिस्तान के सिन्ध के थारपरकअर जिले मे भी बसे हुये हैं ...
क्रान्तिकारियों की योजना वर्ष 1912 में ब्रिटिश सरकार ने भारत की राजधानी कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) से हटाकर दिल्ली लाने का निर्णय किया। इस अवसर पर दिल्ली के तत्कालीन गवर्नर-जनरल लॉर्ड हार्डिंग ने दिल्ली में प्रवेश करने के लिए एक शानदार जुलूस का आयोजन किया। उस समय अन्य क्रान्तिकारियों ने जुलूस पर बम फेंक कर लॉर्ड हार्डिंग को मारने की कोशिश ...
डाकन प्रथा या डायन प्रथा एक कुप्रथा थी जो पहले राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में काफी प्रचलित थी , इसमें ग्रामीण औरतों पर डाकन यानी अपनी तांत्रिक शक्तियों से नन्हें शिशुओं को मारने वाली पर अंधविश्वास से उस पर आरोप लगाकर निर्दयतापूर्ण मार दिया जाता था ...
तापगढ़, क्षेत्रफल में भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के ३३वें जिले प्रतापगढ़ जिले का मुख्यालय है। प्राकृतिक संपदा का धनी कभी इसे 'कान्ठल प्रदेश' कहा गया। यह नया जिला अपने कुछ प्राचीन और पौराणिक सन्दर्भों से जुड़े स्थानों के लिए दर्शनीय है, यद्यपि इसके सुविचारित विकास के लिए वन विभागऔर पर्यटन विभाग ने कोई बहुत उल्लेखनीय योगदान अब तक ...
अरावली भारत के पश्चिमी भाग राजस्थान में स्थित एक पर्वतमाला है। भारत की भौगोलिक संरचना में अरावली प्राचीनतम पर्वत है। यह संसार की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला है जो राजस्थान को उत्तर से दक्षिण दो भागों में बांटती है। अरावली का सर्वोच्च पर्वत शिखर सिरोही जिले में गुरुशिखर (1727 मी.) है, जो अरावली पर्वत माउंट आबू में है। ...
पण्डित जसराज भारत के सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायकों में से एक हैं। पण्डित जसराज का जन्म 1930 में हुआ था। पण्डितजी का संबंध मेवाती घराने से है। जब जसराज काफी छोटे थे तभी उनके पिता श्री पण्डित मोतीरामजी का देहान्त हो गया था और उनका पालन पोषण बड़े भाई पण्डित मणीरामजी के संरक्षण में हुआ ...
१ मार्च १५७२ को उनका गोगुन्दा में राजतिलक कर दिया गया। कुंवर प्रताप २८ फरवरी १५७२ का गोगुन्दा में राजतिलक हुआ। कुंवर प्रताप अब राजकुमार नहीं अपितु मेवाड़ के भावी महाराणा बन गए थे। मेवाड़ के राज परिवार हुई बेइज़ती के कारण क्रुद्ध जगमाल अकबर की शरण में चला गया। अकबर ने जगमाल को यह आश्वासन दिया की वो महाराणा ...
हाथी आधुनिक मानव के समय का पृथ्वी पर विचरण करने वाला, सबसे विशालकाय स्तनपायी जीव है। इसकी दो प्रजातियों, एशियाई हाथी (एलिफ़स मैक्सीमस) और अफ़्रीकी हाथी (लॉक्सोडोंटा अफ़्रीकाना) में से एक, दोनों ही एलिफ़ैंटिडी परिवार गण, कुल के हैं, जिनका विशिष्ट लक्षण उनका बड़ा आकार, लंबी सूंड़ (विस्तारित नाक), स्तंभाकार पैर, विशाल कान (विशेषकर एल अफ़्रीकाना में) और बड़ा सिर ...
मुहता नैणसी (1610–1670) महाराजा जसवन्त सिंह के राज्यकाल में मारवाड़ के दीवान थे। वे भारत के उन क्षेत्रों का अध्यन करने के लिये प्रसिद्ध हैं जो वर्तमान में राजस्थान कहलाता है। 'मारवाड़ रा परगना री विगत' तथा 'नैणसी री ख्यात' उनकी प्रसिद्ध कृतियाँ हैं। ...
राजस्थान के इतिहास व इतिहासकारों के नाम की चर्चा चलती है तो बतौर इतिहासकार कर्नल टॉड का नाम शीर्ष पर आता है. ज्यादातर आधुनिक इतिहासकारों की कथित शोध (Colonel Tod)कर्नल टॉड द्वारा लिखित इतिहास के आगे पीछे ही घूमती है. ...
पण्डित हीरालाल शास्त्री (24 नवम्बर 1899 - 28 दिसम्बर 1974)) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी तथा राजनेता तथा वनस्थली विद्यापीठ के संस्थापक थे। वे राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री (30 मार्च 1948 से 5 जनवरी 1951 तक) बने। ...
जयपुर विदेशी पर्यटकों में जयपुर हमेशा से ही टॉप लिस्ट में शामिल रहा है। हालांकि पिछले कुछ समय से ये देखा गया है कि प्रदेश में विदेशी पर्यटकों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई हो, लेकिन फ्रांस और इंग्लैंड के पर्यटकों को पिंक सिटी बेहद पसंद है। ...
किसान और भी आन्दोलन का स्वतंत्रता संग्राम से सीधा सम्बन्ध नहीं था, फिर भी ये जनचेतना के मुख्य आधार बने। इन आन्दोलनों ने ऐसी सुदृढ़ आधारशिला रखी, जिस पर प्रजामंडल आन्दोलन खड़ा हो सका ...
गणेश्वर राजस्थान के सीकर ज़िला के अंतर्गत नीम-का-थाना तहसील में ताम्रयुगीन संस्कृति का एक महत्त्वपूर्ण स्थल है। यहाँ से प्रचुर मात्रा में जो ताम्र सामग्री पायी गयी है, वह भारतीय पुरातत्त्व को राजस्थान की अपूर्व देन है। ताम्रयुगीन सांस्कृतिक केन्द्रों में से यह स्थल प्राचीनतम स्थल है। ...
आमेर का किला जयपुर, राजस्थान के उपनगर आमेर में जयपुर शहर से ११ किमी. दूर स्थित है। यह जयपुर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है, जो कि पहाड़ी पर स्थित है ...
नागौर पशु मेला राजस्थान के नागौर में लगता है। यह मेला जनवरी-फरवरी माह में लगता है। इस मेले का आयोजन काफी बड़े स्तर पर किया जाता है ...
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