Top GK Quiz Answer Description
लॉर्ड डलहौजी भारत में ब्रिटिश राज का गवर्नर जनरल था और उसका प्रशासन चलाने का तरीका साम्राज्यवाद से प्रेरित था। उसके काल मे राज्य विस्तार का काम अपने चरम पर था। ...
बिम्बिसार ने हर्यक वंश की स्थापना ५४४ ई. पू. में की। इसके साथ ही राजनीतिक शक्ति के रूप में मगध का सर्वप्रथम उदय हुआ। बिम्बिसार को मगध साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक/राजा माना जाता है। बिम्बिसार ने गिरिव्रज (राजगीर) को अपनी राजधानी बनायी। इसने वैवाहिक सम्बन्धों (कौशल, वैशाली एवं पंजाब) की नीति अपनाकर अपने साम्राज्य का विस्तार किया। ...
11 अक्टूबर, 1940 को गाँधीजी द्वारा 'व्यक्तिगत सत्याग्रह' के प्रथम सत्याग्रही के तौर पर विनोबा भावे को चुना गया। प्रसिद्धि की चाहत से दूर विनोबा भावे इस सत्याग्रह के कारण बेहद मशहूर हो गए। उनको गाँव-गाँव में युद्ध विरोधी तक़रीरें करते हुए आगे बढते चले जाना था। ब्रिटिश सरकार द्वारा 21 अक्टूबर को विनोबा को गिरफ्तार किया गया। ...
वर्ष १८५५ में बंगाल के मुर्शिदाबाद तथा बिहार के भागलपुर जिलों में स्थानीय जमीनदार, महाजन और अंग्रेज कर्मचारियों के अन्याय अत्याचार के शिकार संताल जनता ने एकबद्ध होकर उनके विरुद्ध विद्रोह का बिगुल फूँक दिया था। इसे संथाल विद्रोह या संथाल हुल कहते हैं। संताली भाषा में 'हूल' शब्द का शाब्दिक अर्थ है 'विद्रोह'होता है। ...
इल्तुतमिश पहला तुर्क सुल्तान था, जिसने शुद्ध अरबी सिक्के चलवाये। उसने सल्तनत कालीन दो महत्त्वपूर्ण सिक्के 'चाँदी का टका' (लगभग 175 ग्रेन) तथा 'तांबे' का ‘जीतल’ चलवाया। इल्तुतमिश ने सिक्कों पर टकसाल के नाम अंकित करवाने की परम्परा को आरम्भ किया। सिक्कों पर इल्तुतमिश ने अपना उल्लेख ख़लीफ़ा के प्रतिनिधि के रूप में किया है। ...
इस विजय के पश्चात् मुस्लिमों के क़दम उत्तर भारत में जम गये। 1216 ई. (15 फ़रवरी) को एक बार फिर तराइन के मैदान में ही इल्तुतमिश तथा उसके प्रतिद्वन्द्वी सरदार इल्दोज में एक निर्णायक युद्ध हुआ, जिसमें इल्तुतमिश की विजय हुई और उसका दिल्ली की गद्दी पर अधिकार मज़बूत हो गया। 'तरावड़ी' या 'तराइन' को 'आज़माबाद' भी कहा जाता है। ...
जैन धर्म भारत का एक प्राचीन धर्म है। 'जैन धर्म' का अर्थ है - 'जिन द्वारा प्रवर्तित धर्म'। 'जैन' कहते हैं उन्हें, जो 'जिन' के अनुयायी हों। 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने-जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं 'जिन'। ...
मध्यकाल में भक्ति आन्दोलन को विकसित करने तथा लोकप्रिय बनाने में महाराष्ट्र के सन्तों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। महाराष्ट्र में भक्ति पंथ 'पण्ढरपुर' के मुख्य देवता 'विठोवा' या 'बिट्ठल' के मन्दिर के चारों ओर केन्द्रित था। विट्ठल या विठोवा को कृष्ण का अवतार माना जाता था, इसलिए यह आन्दोलन पण्ढरपुर आन्दोलन के रूप में प्रसिद्ध हुआ महाराष्ट्र में भक्ति ...
गुरु गोबिन्द सिंह सिखों के दसवें गुरु थे। उनका जन्म बिहार के पटना शहर में हुआ था। उनके पिता गुरू तेग बहादुर की मृत्यु के उपरान्त ११ नवम्बर सन १६७५ को वे गुरू बने। वह एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे। उन्होने सन १६९९ में बैसाखी के दिन उन्होने खालसा पन्थ की स्थापना की जो सिखों के ...
बाजीराव प्रथम (अंग्रेज़ी: Bajirao I, जन्म- 18 अगस्त, 1700 ई.; मृत्यु- 28 अप्रॅल, 1740 ई.) मराठा साम्राज्य का महान सेनानायक था। वह बालाजी विश्वनाथ और राधाबाई का बड़ा पुत्र था। राजा शाहू ने बालाजी विश्वनाथ की मृत्यु हो जाने के बाद उसे अपना दूसरा पेशवा (1720-1740 ई.) नियुक्त किया था। बाजीराव प्रथम को 'बाजीराव बल्लाल' तथा 'थोरले बाजीराव' के नाम ...
महमूद ग़ज़नवी यमीनी वंश का तुर्क सरदार ग़ज़नी के शासक सुबुक्तगीन का पुत्र था। उसका जन्म सं. 1028 वि. (ई. 971) में हुआ, 27 वर्ष की आयु में सं. 1055 (ई. 998) में वह शासनाध्यक्ष बना था। महमूद बचपन से भारतवर्ष की अपार समृद्धि और धन-दौलत के विषय में सुनता रहा था। उसके पिता ने एक बार हिन्दू शाही राजा ...
फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी (French East India Company) एक व्यापारिक प्रतिष्ठान थी। इसकी स्थापना 1664 में की गई थी ताकि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी तथा डच इस्ट इंडिया कंपनी से मुकाबला किया जा सके। ...
सर सैयद अहमद खान (17 अक्टूबर 1817 - 27 मार्च 1898) हिन्दुस्तानी शिक्षक और नेता थे जिन्होंने भारत के मुसलमानों के लिए आधुनिक शिक्षा की शुरुआत की। उन्होने मुहम्मदन एंग्लो-ओरिएण्टल कालेज की स्थापना की जो बाद में विकसित होकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना ...
विनायक दामोदर सावरकर (अंग्रेज़ी:Vinayak Damodar Savarkar, जन्म- 28 मई, 1883, भगूर गाँव, नासिक; मृत्यु- 26 फ़रवरी, 1966, मुम्बई, भारत) न सिर्फ़ एक क्रांतिकारी थे बल्कि एक भाषाविद, बुद्धिवादी, कवि, अप्रतिम क्रांतिकारी, दृढ राजनेता, समर्पित समाज सुधारक, दार्शनिक, द्रष्टा, महान कवि और महान इतिहासकार और ओजस्वी आदि वक्ता भी थे। ...
राज्याभिषेक के बाद उत्पन्न कठिनाईयों का सफलता पूर्वक सामना करते हुए अलाउद्दीन ने कठोर शासन व्यवस्था के अन्तर्गत अपने राज्य की सीमाओं का विस्तार करना प्रारम्भ किया। अपनी प्रारम्भिक सफलताओं से प्रोत्साहित होकर अलाउद्दीन ने 'सिकन्दर द्वितीय' (सानी) की उपाधि ग्रहण कर इसका उल्लेख अपने सिक्कों पर करवाया। ...
विजय स्तम्भ भारत के राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित एक स्तम्भ या टॉवर है। इसे मेवाड़ नरेश राणा कुम्भा ने महमूद खिलजी के नेतृत्व वाली मालवा और गुजरात की सेनाओं पर विजय के स्मारक के रूप में सन् १४४२ और १४४९ के मध्य बनवाया था। ...
दांडी मार्च से अभिप्राय उस पैदल यात्रा से है, जो महात्मा गाँधी और उनके स्वयं सेवकों द्वारा 12 मार्च, 1930 ई. को प्रारम्भ की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य था- "अंग्रेज़ों द्वारा बनाये गए 'नमक क़ानून को तोड़ना'।" गाँधी जी ने अपने 78 स्वयं सेवकों, जिनमें वेब मिलर भी एक था, के साथ साबरमती आश्रम से 358 कि.मी. दूर स्थित ...
अधिकांश तमिल व्याकरण, तोल्काप्पियम् नामक प्राचीन व्याकरण ग्रन्थ में वर्णित है। आधुनिक तमिल साहित्य १३वीं शताब्दी में रचित नन्नूल नामक व्याकरण ग्रन्थ पर आधारित है। इस ग्रन्थ में पुराने ग्रन्थ (तोल्काप्पियम) के नियमों की व्याख्या की तथा कुछ को बदल भी दिया। ...
विजयनगर साम्राज्य (1336-1646) मध्यकालीन दक्षिण भारत का एक साम्राज्य था। इसके राजाओं ने ३१० वर्ष राज किया। इसका वास्तविक नाम कर्णाटक साम्राज्य था। इसकी स्थापना हरिहर प्रथम और बुक्का राय प्रथम नामक दो भाइयों ने की थी। ऐसा माना जाता है कि यह भाई पासी थे। पुर्तगाली इसे बिसनागा राज्य के नाम से जानते थे। ...
बाबा फरीद (1173-1266), हजरत ख्वाजा फरीद्दुद्दीन गंजशकर चिश्ती आदेश से संबंधित, दक्षिण एशिया के पंजाब क्षेत्र में मुस्लिम एक सूफी संत थे। आप एक उच्चकोटि के पंजाबी कवि भी थे। इनकी रचनाओं को सिख गुरुओं ने सम्मान सहित श्री गुरु ग्रंथ साहिब में स्थान दिया। ...
खुदकाश्त वह भूमि जिसपर उसका स्वामी स्वयं खेती करता हो। उत्तर प्रदेश टेनेंसी ऐक्ट, 1939 की धारा 3 की उपधारा 9 के अनुसार खुदकाश्त सीर को छोड़कर वह भूमि है जिसपर भू-स्वामी (लैंडलार्ड), उप-भूस्वामी (अंडरप्रोप्राइटर) अथवा वह व्यक्ति जिसको भूमि स्थायी रूप से पट्टे पर दे दी गई हो (परर्मानेंट टेन्योरहोल्डर) खेती करता हो। ...
गठन[संपादित करें] एक प्रचलित मान्यता के अनुसार, वेद पहले एक संहिता में थे पर व्यास ऋषि ने अध्ययन की सुगमता के लिए इन्हें चार भागों में बाँट दिया। इस विभक्तिकरण के कारण ही उनका नाम वेद व्यास पड़ा। इनका विभाजन दो क्रम से किया जाता है - (१) अष्टक क्रम - यह पुराना विभाजन क्रम है जिसमें संपूर्ण ऋक संहिता ...
वेद प्राचीन भारतके पवितत्रतम साहित्य हैं जोहिन्दुओं के प्राचीनतम और आधारभूत धर्मग्रन्थ भी हैं।भारतीय संस्कृतिमें वैदिक सनातन वर्णाश्रमधर्म के मूल और सब से प्राचीन ग्रन्थ हैं जिन्हें ईश्वर की वाणी समझा जाता है।ये विश्वके उन प्राचीनतम धार्मिक ग्रंथों में हैं जिनके पवित्र मन्त्र आज भी बढे आस्था और श्रद्धाके इस्तेमाल किये जाते हैं। ...
रामकृष्ण परमहंस भारत के एक महान संत एवं विचारक थे। इन्होंने सभी धर्मों की एकता पर जोर दिया। उन्हें बचपन से ही विश्वास था कि ईश्वर के दर्शन हो सकते हैं अतः ईश्वर की प्राप्ति के लिए उन्होंने कठोर साधना और भक्ति का जीवन बिताया। स्वामी रामकृष्ण मानवता के पुजारी थे। साधना के फलस्वरूप वह इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि ...
चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। वे 'कौटिल्य' नाम से भी विख्यात हैं। उन्होने नंदवंश का नाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया। उनके द्वारा रचित अर्थशास्त्र राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि का महान ग्रंन्थ है। अर्थशास्त्र मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है। ...
उस्ताद अहमद लाहौरी, ताजमहल के प्रधान वास्तुकार होने के अधिकारी हैं। यह दावा उनके वंशज लुत्फुल्लह मुहांदी द्वारा लिखित दावे पर आधारित है शाहजहाँ के दरबार का इतिहास उसकी निर्माण में वैयक्तिक रुचि दर्शाती है ...
मृतसर की सन्धि 25 अप्रैल, 1809 ई. को रणजीत सिंह और ईस्ट इंडिया कम्पनी के बीच हुई। उस समय लॉर्ड मिण्टो प्रथम, भारत का गवर्नर-जनरल था। ...
वैदिक सभ्यता प्राचीन भारत की सभ्यता है जिसमें वेदों की रचना हुई। भारतीय विद्वान् तो इस सभ्यताको अनादि परम्परा आया हुवा मानते हैं | कुछ लोग तो भारत में आज से लगभग ७००० इस्वी ईसा पूर्व शुरु हई थी ऐसा मानते है, परन्तु पश्चिमी विद्वानो के अनुसार आर्यों का एक समुदाय भारत मे लगभग २००० इस्वी ईसा पूर्व आया और ...
अरबी भाषा के शब्द ‘मनसब’ का शाब्दिक अर्थ है- ‘पद’। मनसबदारी व्यवस्था की प्रथा 'ख़लीफ़ा अब्बा सईद' द्वारा आरम्भ की गई तथा चंगेज़ ख़ाँ और तैमूर ने इसका विकास किया। इस प्रकार अकबर ने मनसबदारी की प्रेरणा मध्य एशिया से ग्रहण की थी। मुग़लकालीन सैन्य व्यवस्था पूर्णतः मनसबदारी प्रथा पर आधारित थी। अकबर द्वारा आरम्भ की गयी इस व्यवस्था में ...
फ़िरोज़ के शासनकाल में दासों की संख्या लगभग 1,80,000 पहुँच गई थी। इनकी देखभाल हेतु सुल्तान दे 'दीवान-ए-बंदग़ान' की स्थापना की। कुछ दास प्रांतों में भेजे गये तथा शेष को केन्द्र में रखा गया। दासों को नकद वेतन या भूखण्ड दिए गये। दासों को दस्तकारी का प्रशिक्षण भी दिया गया। ...
Sort by Categories
Managed Services By: www.upscgk.com